वॉशिंगटन। संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के लिए एक ड्राफ्ट रेजोल्यूशन पारित किया है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम से चीन के साथ उसका संभावित टकराव हो सकता है। बताते चलें कि दो सप्ताह पहले चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करके मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने में रोड़ा लगा दिया था।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद दुनियाभर ने भारत का समर्थन किया था। उस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे और इसके बाद भारत व पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। तब अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने ही सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाने की पहल की थी। मगर, चीन के अड़ंगे के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका था।
इस ड्राफ्ट रेजोल्यूशन को फ्रांस और ब्रिटेन ने भी समर्थन दिया है। संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध कमेटी में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव के लंबित हो जाने के बाद अमेरिका ने मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने के लिए सीधे सुरक्षा परिषद का रुख किया है। ड्राफ्ट रेजोल्यूशन में आत्मघाती हमले की निंदा की गई है और तय किया गया है कि मसूद अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र की अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट प्रतिबंध सूची में शामिल किया जाए।
बताते चलें कि पश्चिमी राजनायिकों ने पाकिस्तान के हितों की रक्षा करने का चीन पर आरोप लगाया है। हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने यह कहते हुए अपना बचाव किया है कि उसने जिम्मेदार रवैया अपनाते हुए संबंधित पक्षों के बीच बात-चीत को हल करने का रास्ता बनाया है। प्रस्ताव में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर की यात्रा पर बैन, संपत्ति जब्त और हथियार बंदी की बात कही गई है।
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ड्राफ्ट रेजोल्यूशन पर वोटिंग कब होगी। मगर, सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और अमेरिका में से चीन इस बार भी वीटो कर सकता है। इससे पहले मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए चार बार कोशिश हो चुकी है, लेकिन हर बार चीन ने वीटो शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उसे बचा लिया। जबकि, जैश ए मोहम्मद साल 2001 से ही यूएन की टेरर लिस्ट में शामिल संगठन है।
इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों का उत्पीड़न करता है। मगर, हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है। पोम्पिओ ने बुधवार को मसूद अजहर का नाम लिये बिना ट्वीट किया- 'दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।
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United States Secretary of State Mike Pompeo: The world cannot afford China’s shameful hypocrisy toward Muslims. On one hand, China abuses more than a million Muslims at home, but on the other it protects violent Islamic terrorist groups from sanctions at the UN.
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पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका उनके और उनके परिवारों के साथ खड़ा है। चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए।